श्री प्रभु गोपी नाथ जी, इष्ट हमारे प्राण !
इन लोचन से दूर क्षण, होत नहीं कब ध्यान !
प्राण देह में तब पड़े, जब गाऊँ प्रिये गाथ !
लाल दास ह्रदय बसें, श्री प्रभु गोपी नाथ !
बन्दों प्रथम चरण गुरुदेव, धर निरंतर ध्यान !
जिस गुरुदेव कृपालु होंवे, कीनो दूर अज्ञान !
जड़ ते कर चेतन दियो, तब मार्ग दियो बताये !
बन्दे दरिद्र भाव फंद ते, लीनो तुरंत छुडाये !
निर्गुण कीत अजान पर, कीन्हो बार उपकार !
तिस श्री गुरु लालजी महाराज के चरण पर कोट बार बल्हार !
इक रसना क्या वर्न्हू, कछु समरथ नहीं मोहे !
लाल दास को भजे सदा, चरण कमल रत होए !
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